सच कहूं ईमान से ईमान भी डग्माएगा
तेरी गर्जना से एक दिन सिंह भी थर्राएगा
शस्त्र भुजा जब हाथ तू लगाएगा
वक़्त देख आसमान भी शीश यू झुकाएगा
सहस्त्र सर काटेंगे वक़्त थम जाएगा
समुद्र भी लाल रक्त में बस जाएगा
लाखो चिताए जलेंगी अम्बर जगमाएगा
तेरा बल शौर्य देख पर्वत हिल जाएगा
इन्द्र तेरा रूप देख बिजिलिया बरसाएगा
सच कहूं ईमान से ईमान भी डग्माएगा
तेरी गर्जना से एक दिन सिंह भी थर्राएगा
कूच कर अपनी तू जैसे भीष्म रण में हो
साध अपने तीर को जैसे अर्जुन का गांडीव हो
भीम का बल दिखा तू कर्ण सा प्रहार कर
धरती मां के दुश्मनों का राम सा संहार कर
रावण का सामना तू हनुमानजी के बल से कर
नरसिम्हा बन कर तू हरिनयकश्प का वध कर
सच कहूं ईमान से ईमान भी डग्माएगा
तेरी गर्जना से एक दिन सिंह भी थर्राएगा
सर्व गुना संपन्न तू आगे बड़ कूच कर
अपने रण में तू जामवंत सी हुंकार भर
काट हर हाथ को जो सीता के लिए बड़े
उखाड़ उन जंघाओं को जो द्रोपदी को प्रताड़ित करे
प्रहलाद का रक्षक बन तू अब साहस दिखा
भारत मां को तू अब हर कंस से बचा
जयचंदो को मार तू प्रथ्विराज बन
अपने देश के लिए अब तू शिवाजी महाराज बन
सच कहूं ईमान से ईमान भी डग्माएगा
तेरी गर्जना से एक दिन सिंह भी थर्राएगा
उत्तम रचना 👌🙏🙏
मन को जीत लिया तो जैसे जग को जीत लिया।
LikeLiked by 2 people
तभी तो लोग कहते है मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।। धन्यवाद
LikeLiked by 1 person
हा, बिलकुल सही।
LikeLiked by 2 people