दिल करता है आज फिर बच्चा बन जाऊं
तेरे हाथो से खाना खाऊ
तेरी वो मीठी मीठी लोरी सुन
तेरी गोद में सो जाऊं
में भागू तू पकड़े
में दौडु तू जकड़े
वो डांट डपट कर फिर एक बार तेरे सीने से लग जाऊं
दिल करता है आज फिर बच्चा बन जाऊं
तेरे वो अतरंगी इशारों पर मुस्काऊ
तेरी वो बेढ़ांगी बातो पे ईतराऊ
में रूठूं तू मनाए
में रोऊ तू चुप कराए
तेरे ममता के आंचल में
सिर रख तेरी गोद में सो जाऊं
दिल करता है आज फिर बच्चा बन जाऊं
याद है तू अपने पल्लू में सुलाती थी
अपनी गोद में खिलाती थी
पापा से लड़ झगड़कर हर खुशियां तू दे जाती थी
वो रात आज भी याद करता हूं
जब तू जागती थी ताकी में सो जाऊं
मां आज फिर तेरी आंचल की छांव में अपना बचपन बिताऊ
दिल करता है आज फिर बच्चा बन जाऊं
जीवन का पहला प्यार —- मां
माँ तो आखिर माँ होती है
हर बात पे हँसाती है
हर चीज दिलाती है
कभी लड़ कभी अड़ कर
तुम्हे बस खुशिया दे जाती है
छोटी छोटी बातों
दुनिया से लड़ जाती है
तुम्हारी एक मुस्कुराहट के लिए
कई हज़ार कुर्बानिया दे जाती है
माँ तो आखिर माँ होती है
हर बात पे हँसाती है।
रोना उसे भी आता है
पर तुम्हारे सामने छिपाती है
तुम कमजोर ना पड़ो इसलिए
खुद को बुलंद दिखती है
कभी गुरु बन कर
कभी गोविंद बनकर
हर पाठ वो पढाती है
हौसले कमजोर न पड़े तुम्हारे
इसलिए दुनिया से अवगत कराती है
माँ तो आखिर माँ होती है
हर बात पे हँसाती है।
वो लड़कपन से बचपन में
खुद गिरकर तुम्हे उठाती है
तुम पेट भर खाओ इसलिए
खुर भूखा सो जाती है
प्यार उसका जैसे कि ईश्वर की ममता
साथ उसका जैसे कृष्णा अर्जुन का
सिर्फ अपनी दुआओ से
विश्व के सारे सुख दे जाती है
माँ तो आखिर माँ होती है
हर बात पे हँसाती है।
एक शहीद के मां की व्यथा
।।पुलवामा में मेरे गए वीरो को समर्पित।।
तोड़ कर मेरे मन को यूं तू चला गया
छोड़ कर अकेला इस जहां में तू चला गया
उतार दिया एक ॠण जो उस मां का था
इस मां के ॠण को छोड़ कर तू चला गया
अक्सर तेरी याद में बैठ जाया करती हूं
जैसे पहले तेरे इंतज़ार में दिन गुजारती थी
बस पहले हर पल दुआ करती थी जल्दी आए
अब हर दुआ में खामोश रह जाती हूं
तेरे पिता भी मुझे ऐसे ही छोड़ गए थे
सोचा था तू साथ निभाएगा
ये नहीं सोचा था
तू भी देश का कर्ज इस तरह सरहद पे लड़ के चुकाएगा
अब तेरा बेटा भी बड़ा हो गया
अपने पैरो पर खड़ा हो गया
सोचती थी इसे रखूंगी अपने पास
पर इसकी जिद्द के आगे कहा चलती है मेरी
कहता है पापा की तरह बनूंगा दादा की तरह लड़ूंगा
आपकी छाती फिर एक बार गर्व से चोड़ी करूंगा
फिर बहू ने समझाया इस देश की जरुरत को बताया
याद आती तेरी खत में लिखी बात
जिसमे तू कहता था मेरा बेटा फौजी बनेगा अपने पिता का सिर फक्र से ऊंचा करेगा
बस यही सोच इसे भेज रही हूं भारत मां के पास
बस कभी कभी ये में घबराता है
देश में चल रही आंतरिक लड़ाई पे मन बैठ सा जाता है
कहीं मेरी जीवन की कुर्बानी बेकार ना जाए
जो तुमसे दूर रहकर गुजरी है मैने
इन देशविरोधी नारे वालो का क्या पता
आज़ादी के असली मायने
कोई पूछो उनसे कितने बेटे भेजे है सरहद पे लड़ाई वास्ते
जो आज़ादी के खोखले नारे लगाते है
मेरे तो सुहाग और औलाद दोनों आज़ाद हो गए
इस मिट्टी की खातिर दोनों कुर्बान हो गये
तू मान ले तो पर्वत हिला दे, खुद को पहचान ले तो धरती को स्वर्ग बना दे||
सच कहूं ईमान से ईमान भी डग्माएगा
तेरी गर्जना से एक दिन सिंह भी थर्राएगा
शस्त्र भुजा जब हाथ तू लगाएगा
वक़्त देख आसमान भी शीश यू झुकाएगा
सहस्त्र सर काटेंगे वक़्त थम जाएगा
समुद्र भी लाल रक्त में बस जाएगा
लाखो चिताए जलेंगी अम्बर जगमाएगा
तेरा बल शौर्य देख पर्वत हिल जाएगा
इन्द्र तेरा रूप देख बिजिलिया बरसाएगा
सच कहूं ईमान से ईमान भी डग्माएगा
तेरी गर्जना से एक दिन सिंह भी थर्राएगा
कूच कर अपनी तू जैसे भीष्म रण में हो
साध अपने तीर को जैसे अर्जुन का गांडीव हो
भीम का बल दिखा तू कर्ण सा प्रहार कर
धरती मां के दुश्मनों का राम सा संहार कर
रावण का सामना तू हनुमानजी के बल से कर
नरसिम्हा बन कर तू हरिनयकश्प का वध कर
सच कहूं ईमान से ईमान भी डग्माएगा
तेरी गर्जना से एक दिन सिंह भी थर्राएगा
सर्व गुना संपन्न तू आगे बड़ कूच कर
अपने रण में तू जामवंत सी हुंकार भर
काट हर हाथ को जो सीता के लिए बड़े
उखाड़ उन जंघाओं को जो द्रोपदी को प्रताड़ित करे
प्रहलाद का रक्षक बन तू अब साहस दिखा
भारत मां को तू अब हर कंस से बचा
जयचंदो को मार तू प्रथ्विराज बन
अपने देश के लिए अब तू शिवाजी महाराज बन
सच कहूं ईमान से ईमान भी डग्माएगा
तेरी गर्जना से एक दिन सिंह भी थर्राएगा
कौन बताये इस दुनिया को
कौन बताये इस दुनिया को
रोना हमे भी आता है
जब दिल का कोई टुकड़ा
हमसे यू दूर हो जाता है
कभी पढ़ाई के बहाने
तो कभी नौकरी के सहारे
दिल हमारा भी झिझक जाता है
जब घर छोड़ के अपनो से मुँह मोड़ के
वक़्त युही तनहाइयों में बीत जाता है
कौन बताये इस दुनिया को
रोना हमे भी आता है
वो बहनो से लड़ाई
भाई से शरारत
साथ मे मस्ती
और घर की आदत
माँ के हाथ का स्वाद
और पाप का प्यार
बस यादो में ही सताता है
कौन बताये इस दुनिया को
रोना हमे भी आता है
छोड़ कर अपने निशां
छोड़ कर अपने निशा
यू चल दिया मंज़िल की तलाश में
गोते खाता राहे बुनाता
चल दिया अपनी राह पे
कुछ यादो को संजोए
कुछ बाते पिरोये
बस युही खयालो में गश्ती लगाता
बढ़ता चला गया
मुसाफिर हु यारो
छोड़ कर अपने निशा
मंज़िल की तलाश में युही चलता गया
डर तो मुझे भी लग रहा था
अपनो से दूर जो हो रहा था
पर मंज़िल भी कहा असां थी
लड़ना मुझे भी सीख गयीं
आगे बढ़ने का हौसला
दुनिया से लड़ने की हिम्मत
हमे भी दिला गयी
बस अब निशा रह गए है
धुंधली यादो के सहारे
बढ़ते जा रहे है
अपनो की बातों के साहरे
छोड़ कर अपने निशा
यू ही चल दिया मंज़िल की तलाश में
पियुष विजयवर्गीय
MANZIL ki talash
Mana ki manzil door he
Ek din waqt Tera bhi aayega
Tu kyu ghabrata he badalo se
ye asman ek din tere aage sir jhukayega
Chah kr to Dekh
aisa kya h Jo tujhe hasil na ho
Chir kr in pahado ko rasta Tu bhi bnayega
Mana manzil door he
waqt Tera bhi aayega
अभिमान कर।
चल उठ;
अभिमान कर;
अपने राष्टृ पे;
तू मान कर;
तू बोल मत;
तू सोच मत;
तू हो खड़ा;
अभिमान कर;
चल उठ;
अपने राष्टृ पे;
तू मान कर;
तू मान कर;
नयी सोच कर;
नयी ऊर्जा भर;
तू हो खड़ा;
तू कर भला;
चल उठ अपने राष्टृ पे;
अभिमान कर;
अभिमान कर ॥
…….उतरन……
उतरन ये कैसी उतरन
गरीबो के सर का ताज है उतरन
अमीरो के सर पे भार है उतरन
किसकी आवाज हैं उतरन
तो किसीका साज है उतरन
देदो तो प्यार हैं उतरन
और न दो तो नाराज़ है उतरन
ये वक़्त भी कैसे खेल है खेलता
जो उतरन न देने वाला आज उतरन है ढूंढता
वक़्त की लाठी बहुत कमाल की
कभी देने से भी न दिले
और कभी मांगे से भी न मिले ये उतरन
उतरन ये कैसी उतरन
आज विधाता ने देखि है अमीरो की कहानी
लेकिन लिख रहा है वो गरीबो की जुबानी
ये उतरन है शर्म न कर ऐ बन्दे
और कभी अपने आप घमंड न कर ऐ बन्दे
राम ने भी यही उतरन को अपनाया था
और रावण यही उतरन देने से कतराया था
आज देखो कहा रावण और कहा राम है
किसी का नाम तो कोई बदनाम है
में तो सिर्फ ये बोलता हूँ
इस उतरन और कोई उपयोग नहीं
किसी गरीब के जीवन का कोई मोल नहीं
मेरे पापा
याद है सब
वो पहली गोदी का एहसास
वो पहली बार उंगली पकड़कर चलने वाला प्यार
वो सायकल के पीछेभागना की कही गिर न जाये मेरा लाल
हर बात पे मनाना हर चीज दिलाना
हर कदम का साथ जीवन भर का विशवास
हर बात में फिक्र हर फिक्र में दर्द
उनकी बाते उनकी थप्पी
उनकी लोरी उनकी झप्पी
कही खो सी गयी है
पापा तो वही है शायद हमारी ही गलती है
पापा बस यही कहना है आपसे
वो बचपन एक बार फिर जीना है साथ मे
फिर एक बार वही मस्ती किलकारी
गोद मे सोना है आपके